आजकल हिंदी हो या मराठी हो, भाषा की स्थिति बहुत विकट है. यूनीकोड में विविधता तो है ही नहीं. बस एक या दो फॉन्ट होते हैं, उन्हीं में से इस्तेमाल करने पडते हैं. दूसरी ओर अंग्रेजी में विविधता का कोई ओर-छोर ही नहीं है क्योंकि ५०० से ज्यादा फॉन्ट उपलब्ध हैं.


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